भारत माता की आरती Bharat Mata Ki Aarti

भारत देश को भारत माता के नाम से भी जाना जाता हैं। क्योकिं यह एक जमीन का टुकड़ा ही नहीं हैं। अपितु हमारे लिए माँ के सम्मान हैं। जिसे हम मातृभूमि भी कहते हैं। इस मातृभूमि को हमारे पूर्वजो ने अपने बलिदान और खून से सीचा हैं। भारत माता हमें रहने के लिये स्थान देती हैं और खाने के लिए अन देती हैं पीने के लिए पानी देती हैं।

इसलिए हमे अपनी भारत माता की पूजा करनी चाहिये। अगर आप भारत माता की आरती करना चाहते हैं, तो आज हम आपके लिये भारतमाता की आरती लेकर आये हैं।


Bharat Mata Ki Aarti Lyrics

भारत माँ की आरती
ॐ जय भारत माता, मैयाँ जय भारत माता।
जो जन तुजको ध्याता, सुख सम्पद पाता।।
ॐ जय भारत माता ।।धृ।।

ऋशि – मुनियों ने तेरी, महिमा हैं गायी ।
ऋिद्धि सिद्धि वरदायक, प्रभुता प्रकटायी ।।
ॐ जय भारत माता ।।धृ।।

हरि हर ब्रह्या तेरे, आंगन में प्रकटे ।
असुरों को संहारा, सब के कष्ट मिटे ।।
ॐ जय भारत माता ।।धृ।।

यवन हुण शक आये, सबको समा लिया ।
आक्रामक रिपुओं को, तूने नष्ट किया
ॐ जय भारत माता ।।धृ।।

हिंदू जाति सब मिलकर, यह संकल्प करें ।
भक्तिभाव हो मन में, प्रेम प्रवाह बहे ।।
ॐ जय भारत माता ।।धृ।।

सच्चे मनसे माँ का, जो गुणगान करे ।
मनवांछित फल पावे, जीवन सफल करे ।।
ॐ जय भारत माता ।।धृ।।

भारत माता की आरती

जय भारत माता, जय भारत माता।
तुम ही दुर्गा, सब का पालनकर्ता॥

विद्याविनोद दान कर्ता, तुम ही हो सदा सहायकर्ता।
जय भारत माता, जय भारत माता॥

तुम ही हो जग की माता,
तुम ही हो भरता भक्तन का।
स्वर्ग, पाताल, स्थान भी तुम ही,
तुम ही हो शक्ति जगता॥

जय भारत माता, जय भारत माता।
तुम ही हो विद्या, बुद्धि,
तुम ही हो श्रद्धा, तुम ही हो संकट हर्ता॥

धरा पर तुम स्वर्णिम सिंदूर,
तुम ही हो वसुंधरा की धरा।
जय भारत माता, जय भारत माता॥

तुम ही हो दिनबंधु, तुम ही हो रत्न,
तुम ही हो सुख, दुःख, वीरता।
तुम ही हो ज्ञान की देवी,
तुम ही हो ब्रह्मा, विष्णु, महेश्वर्ता॥

जय भारत माता, जय भारत माता।
तुम ही हो धर्म की मूर्ति,
तुम ही हो प्रेम का संस्कृता॥

तुम ही हो सुन्दर वर्णन, तुम ही हो अमित विक्रम।
जय भारत माता, जय भारत माता॥

तुम ही हो रत्न कर्ता, तुम ही हो दुःखहर्ता।
जय भारत माता, जय भारत माता॥

भारत माता आरती लिरिक्स

आरती भारत माता की,
जगत के भाग्य विधाता की ।
आरती भारत माता की,
ज़गत के भाग्य विधाता की ।

सिर पर हिम गिरिवर सोहै,
चरण को रत्नाकर धोए,
देवता गोदी में सोए,
रहे आनंद, हुए न द्वन्द,
समर्पित छंद,

बोलो जय बुद्धिप्रदाता की,
जगत के भाग्य विधाता की

आरती भारत माता की,
जगत के भाग्यविधाता की ।

जगत में लगती है न्यारी,
बनी है इसकी छवि न्यारी,
कि दुनियाँ देख जले सारी,
देखकर झलक,

झुकी है पलक, बढ़ी है ललक,
कृपा बरसे जहाँ दाता की,
जगत के भाग्य विधाता की

आरती भारत माता की,
जगत के भाग्यविधाता की ।

गोद गंगा जमुना लहरे,
भगवा फहर फहर फहरे,
लगे हैं घाव बहुत गहरे,
हुए हैं खण्ड, करेंगे अखण्ड,
देकर दंड मौत परदेशी दाता की,
जगत के भाग्य विधाता की

आरती भारत माता की,
जगत के भाग्यविधाता की ।

पले जहाँ रघुकुल भूषण राम,
बजाये बँसी जहाँ घनश्याम,
जहाँ का कण कण तीरथ धाम,
बड़े हर धर्म, साथ शुभ कर्म,
लढे बेशर्म बनी श्री राम दाता की,
जगत के भाग्य विधाता की

आरती भारत माता की,
जगत के भाग्यविधाता की ।

बड़े हिन्दू का स्वाभिमान ,
किया केशव ने जीवनदान,
बढाया माधव ने भी मान,
चलेंगे साथ,

हाथ में हाथ, उठाकर माथ,
शपथ गीता गौमाता की,
जगत के भाग्य विधाता की
आरती भारत माता की,
जगत के भाग्यविधाता की ।

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