Akbar Birbal Ki Kahani In Hindi:- अकबर बीरबल की कहानियां भारत के इतिहास में सबसे प्रसिद्ध और रोचक कहानियों में से एक हैं। ये कहानियां हमें बुद्धि और समझदारी के बारे में सिखाती हैं। आजकल बच्चो को कहानिया सुनना काफी पसंद होता हैं खास कर Akbar Aur Birbal Ki Kahani क्यूंकि बच्चो को मनरोंजन के साथ साथ बहुत कुछ सिखने को भी मिलता हैं जिससे आपके बच्चो का दिमाग और उनमें समजदारी आती हैं।
इसीलिए आज हम बच्चो के लिए Akbar Birbal Ki Kahani In Hindi में लेकर आये हैं। आपको यहाँ पर Akbar Birbal Ki Kahani With Moral के साथ मिलेगी जिससे आपको पता चल सके की इस कहानी से हमें क्या सिख मिली हैं और हमें क्या सीखना चाहिए।
Birbal Kaun Tha
बीरबल का जन्म 1528 में हुआ था। बीरबल, जिन्हे राजा बीरबर भी कहा जाता था, बीरबल का असली नाम महेशदास था। राजा बीरबर मुगल सम्राट अकबर के सबसे विश्वसनिय मंत्री थे। उनकी चतुराई और बुद्धि की कहानियां आज भी लोगों को प्रभावित करती हैं। बीरबल एक ऐसा व्यक्ति था जिसका तेज दिमाग और बुद्दिमान था इसलिए अकबर भी बीरबल से सलाह लेते थे।
बीरबल का जन्म कब हुआ ?
राजा बीरबल का जन्म भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में 1528 में हुआ था। बीरबल, एक ऐसे गांव में पैदा हुए जहां विद्या की पूजा होती थी, और सभी को विद्या लेने का अधिकार था। बीरबल के माता-पिता को गर्व था कि उनका पुत्र उत्तर प्रदेश के वहाँ जन्म हुआ था, जहाँ नन्हें-मुन्नों को विद्या लेने का अधिकार हैं।
Akbar Birbal Ki Kahani In Hindi
हमने निचे की तरह अकबर बीरबल की मजेदार और ज्ञान से भरी हुयी कहानिया बताये हैं जिन्हें पढ़कर आपको ज्ञान का अनुभव होगा।
“खोजो खुशी की: अकबर और बीरबल की अद्भुत कहानी”
एक दिन, महाराजा अकबर एक बहुत गहरे विचार में डूबे हुए थे बीरबल ने पूछा, “हुज़ूर, आपके मन में क्या चल रहा है?”
अकबर ने उदासी के साथ कहा, “बीरबल, मैं सोच रहा हूँ कि हमारे साम्राज्य में हर किसी को खुशी मिलनी चाहिए। मगर ऐसा नहीं हो पा रहा। मैं दुखी हूं।”
बीरबल ने हंसते हुए कहा, “बादशाह साहब, खुशी एक ऐसी चीज़ है जो व्यक्ति के अंदर ही होती है। हम बाहर से इसे नहीं ला सकते। इसे खोजना पड़ता है।”
अकबर ने पूछा, “क्या यह संभव है, बीरबल?”
बीरबल ने खुद को संतुलित करते हुए कहा, “हां, हुज़ूर, लेकिन इसके लिए हमें अपने दृष्टिकोण को बदलना होगा।”
अगले दिन, बीरबल ने सभी दरबारियों को एक अजनबी से मिलवाया, जो बहुत ही खुश दिखाई दे रहा था। उसका चेहरा खुशी से चमक रहा था। जब उससे पूछा गया कि वह इतना खुश कैसे है, उसने कहा, “मैं खुश हूं क्योंकि मैं जी रहा हूं। मेरे पास खाने के लिए भोजन है, सोने के लिए एक आश्रय है और जीवन की साधारण खुशियां हैं। मैं खुश हूं क्योंकि मैंने खुश रहना चुना है।”
यह सुनकर, अकबर की आँखों में आश्चर्य की चमक आई। उन्होंने समझा कि खुशी की तलाश वास्तव में व्यक्ति के अंदर ही होती है। उस दिन से, वह अपने दरबार में खुशी को फैलाने की कोशिश करने लगे, न कि खुशी को बांटने।
और फिर एक बार फिर, बीरबल ने अपनी समझदारी से सभी को प्रभावित कर दिया। उनकी कहानी आज भी लोगों को सिखाती है कि खुशी का स्रोत हमारे अंदर ही होता है, बाहर नहीं।
दोस्ती और समझदारी ( Akbar Birbal Story In Hindi )
एक बार की बात है, अकबर और बीरबल की दोस्ती बहुत गहरी थी। राजा अकबर के दरबार में बुद्दिमान बीरबल की बातें हर किसी को आश्चर्यचकित कर देती थीं। जिस भी समस्या का समाधान नहीं मिलता था, वहां बीरबल उस समस्या का समाधान कर देते थे।
एक दिन, अकबर को एक अत्यंत गंभीर समस्या का सामना करना पड़ा। उनका दिल बहुत उदास था और उनकी आँखों से आंसू बह रहे थे। वे बीरबल के पास गए और बोले, “बीरबल, मेरा दिल बहुत दुखी है। क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो?”
बीरबल ने अकबर की आँखों में उनका दर्द देखा और उन्हें एक दोस्त की तरह गले लगाया। उन्होंने कहा, “हाँ, बादशाह, मैं आपकी मदद जरूर करूंगा।
अकबर ने दुखी होकर कहा, “मेरे बगीचे की सब फसलें सूख रही हैं। मैं निराश हूं क्योंकि मेरी मेहनत और पूजा के बावजूद, बारिश नहीं हो रही है। कृपया मेरे लिए कोई उपाय बताएं, बीरबल।”
बीरबल ने अकबर की चिंता को समझा और कहा, “बादशाह, हमारे जीवन में किसी की संख्या और पूरी प्रकृति का गहरा संबंध होता है। शायद आपको अपनी पूर्वानुभूति से याद आता होगा कि आपने अपने कर्मों के कारण इस प्राकृतिक अवस्था को पहुंचाया है। यदि हम प्रकृति के साथ मिलकर एकांत में विचार करें, तो हमें समझने में सहायता मिलेगी।”
बीरबल के शब्दों ने अकबर के मन में उम्मीद की किरण जगाई। वे बीरबल की सलाह पर विचार करने लगे और धीरे-धीरे उनका मन शांत हो गया। अकबर बीरबल को आभार व्यक्त करते हुए बोले, “बीरबल, तुमने मेरे दिल की बात समझी है। मुझे प्रकृति से समझौता करना चाहिए और अपने कर्मों की पुनर्मुद्रण करनी चाहिए।”
वैसे ही बीरबल की मदद से अकबर ने अपनी भूमि की सुरक्षा के लिए और प्राकृतिक वातावरण की देखभाल के लिए नए योजनाओं का निर्माण किया।
उन्होंने जल संचय के लिए नदियों के पास बांध बनवाए और वृक्षारोपण की अभियान चलाई। उन्होंने अपने प्रजाओं को प्रकृति की रक्षा करने की महत्वपूर्णता समझाई और जल्द ही उनके बगीचे में बारिश की बौछारें गिरने लगीं।
बीरबल की दूरदर्शिता ने अकबर को सच्ची खुशी दिलाई। वे बीरबल के पास गए और गले से लगाकर बोले, “बीरबल, तुम मेरे लिए अनमोल हो। तुम्हारी बुद्धिमत्ता और समझ के बिना मेरे जीवन की कठिनाइयों का हल नहीं हो सकता।”
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि दोस्ती और समझदारी असाधारण गुण हैं जो हमें दुःख और समस्याओं से बचा सकते हैं। अकबर और बीरबल की यह मित्रता हमेशा हमारे दिलों प्यार बना रहेगा।
सिख
यह कहानी हमें सिखाती है कि असली दोस्ती और समझदारी जीवन के हर मोड़ पर हमारे साथ खड़ी होती है। दुख में साथ रहती है, खुशी में भी साथ देती है और हमेशा प्यार करती है। दोस्ती हमारे जीवन को सुंदर बनाती है।
Birbal Ki Chaturai
एक बार महाराजा अकबर और उनके मन्त्री बीरबल, समुद्र के किनारे तैराकी ( नाव चलाने ) करने के लिए गए थे। जब वे वापस आ रहे थे, अकबर की अंगूठी लहरों में खो गई। अकबर बहुत ही निराश हुए। उनकी अंगूठी उनके लिए बहुत कीमती थी, यह उनके पिता हुमायूँ की देन थी।
बीरबल ने अकबर की उदासी देखी और उन्होंने कहा, “महाराज, मैं आपकी अंगूठी ढूंढ़ने का प्रयास करूंगा।” अकबर ने बीरबल की बातों का ध्यान नहीं दिया और उन्होंने अपनी अंगूठी के गुम होने का गम मनाना शुरू कर दिया।
बीरबल ने कुछ मछुआरों से मदद मांगी और वे सभी समुद्र में जाल डालने लगे। कुछ घंटों के बाद, एक मछुआरा एक चमकती हुई वस्तु को जाल में देखा। वह यह देखने के लिए जाल को बाहर खींचा और देखा कि वह अकबर की खोई हुई अंगूठी थी।
जब बीरबल ने अकबर को उनकी अंगूठी लौटाई, तो अकबर की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। उन्होंने बीरबल की चतुराई की प्रशंसा की और उन्हें अपने निकटतम विश्वासीय मित्र के रूप में स्वीकार किया।
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि समस्याओं का समाधान निराशा में नहीं, अपितु सोचने और काम करने की चतुराई में होता है।
Birbal Ki Khichdi
महाराज अकबर ने बीरबल से एक सवाल पूछा।
“बीरबल,” अकबर ने कहा, “तुम्हें लगता है कि एक आदमी कितने समय में न्याय कर सकता है?”
बीरबल ने सोचा और उत्तर दिया, “महाराज, यह समय व्यक्ति के निर्णय और समझ पर निर्भर करता है।”
अकबर थोड़ा असंतुष्ट हो गए, “तुम हमेशा ही बात को कठिन बना देते हो, बीरबल। मैं चाहता हूं कि तुम मुझे सीधा उत्तर दो।”
बीरबल ने समझा कि उन्हें अकबर को एक सीधे तरीके से समझाना होगा। इसलिए उन्होंने कहा, “महाराज, मैं एक खिचड़ी पकाऊंगा और आपको दिखाऊंगा कि न्याय करने का समय क्या होता है।”
बीरबल ने एक बड़े बर्तन में खिचड़ी पकाना शुरू किया। उन्होंने बर्तन को आग के ऊपर नहीं रखा, बल्कि उसे आग से कुछ फीट ऊपर लटका दिया। अकबर ने देखा कि खिचड़ी पकने में बहुत समय लगेगा। उन्होंने बीरबल से पूछा, “बीरबल, तुमने बर्तन को इतना ऊपर क्यों लटकाया है?”
बीरबल ने कहा, “महाराज, जैसे खिचड़ी को सीधी आग चाहिए होती है पकने के लिए, वैसे ही न्याय करने के लिए सीधा और गहरा अध्ययन चाहिए। आप चाहें तो जल्दी न्याय कर सकते हैं, पर वो सही और पूरा न्याय होगा, इसकी कोई गारंटी नहीं।”
यह सुनकर, अकबर को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने बीरबल की चतुराई की सराहना की।
Akbar Birbal Ki Kahani With Moral
सच्चाई की पहचान: अकबर और बीरबल की कहानी
एक बार की बात है, बादशाह अकबर और बीरबल के बीच एक दिन बहुत गहरी बातचीत हो रही थी। अकबर बहुत परेशान और चिंतित थे, उन्हें अपने अधिकारियों के बारे में भरोसा नहीं था। वे यह जानना चाहते थे कि कौन सा अधिकारी सच्चा और ईमानदार है।
अकबर ने एक तरीका सोचा। वे एक दिन अपने दरबार में सभी अधिकारियों को एक-एक करके बुलवा रहे थे। एक अधिकारी को देखकर अकबर ने बीरबल से कहा, “बीरबल, यह व्यक्ति मेरे आसपास एक दरबारी रथ को उछालने के लिए अद्यतन दिख रहा है। क्या तुम सोच सकते हो कि वह अद्यतन कौन है?”
बीरबल, जो सदा ही तर्कशील और बुद्धिमान थे, अकबर की इच्छानुसार सोचने लगे। उन्हें बड़ी मुश्किल हो रही थी कि कौन सा अधिकारी सच्चा है और किसे चुनें।
परंतु बीरबल के मन में एक विचार उठा। उन्होंने एक छोटी सी खोटी चाल अपनाई। वे अकबर के सामने आए और कहा, “महाराज, मैं आपसे एक प्रश्न पूछना चाहूंगा।”
अकबर चकित हो गए और बोले, “हाँ बीरबल, पूछो।”
बीरबल ने पूछा, “जब किसी व्यक्ति की ईमानदारी परीक्षण में होती है, तो वह व्यक्ति कौन होता है जो सबसे पहले भगवान के पास जाता है?”
अकबर ने सोचा, पर उन्हें यह उत्तर नहीं आया। उन्होंने अपने अधिकारियों से पूछा लेकिन कोई सही उत्तर नहीं दे सका।
बीरबल ने स्मित्त होकर कहा, “महाराज, वह व्यक्ति जो सबसे पहले भगवान के पास जाता है, वही व्यक्ति है जिसे सबसे पहले आप समझना चाहिए।”
अकबर ने बीरबल की बात सुनकर गहरा विचार किया और उन्होंने इस तरह तारीफ की, “बीरबल, तुम ने मेरे मन की बात पढ़ी है। तुम वह अधिकारी हो जिसे मैं सबसे ज्यादा भरोसा करता हूँ।”
यह कहानी हमें सिखाती है कि ईमानदारी और सत्य की पहचान बड़ी मुश्किल हो सकती है, परंतु ईमानदार व्यक्ति को बहुत जल्दी पहचाना जा सकता है। जब हम ईमानदारी की ओर ध्यान देते हैं, तो हम आसानी से सच्चे और विश्वासनीय लोगों को पहचान सकते हैं।
इस कहानी का मोरल है – “जो ईमानदारी की पहचान को समझता है, वही सच्चाई को पहचानता है।”
Teen Sawal, Ek Jawab
बहुत समय पहले, एक समय की बात है, अकबर और बीरबल के बीच एक अद्भुत दोस्ती थी। दोनों ही एक-दूसरे के बेहद करीब थे और अपनी बातों के लिए प्रसिद्ध थे। उनके बीच का सम्बंध एक अद्वितीय जैसा था, जहां वो एक दूसरे की बात समझ सकते थे बिना शब्दों के।
एक दिन, बादशाह अकबर ने बीरबल से कुछ सवाल पूछे। वो सवाल कुछ ऐसे थे जिनका जवाब अकबर ने एक ही बार में चाहिए था। इन सवालों में काफी गहराई छिपी हुई थी और समय कम था। बीरबल ने विचार किया और जवाब ढूंढ़ने की कोशिश की, लेकिन वह सही उत्तर नहीं दे सके। यह जानकर उन्हें बहुत दुःख हुआ।
वे घबराए हुए अपने मित्र अकबर के पास गए और अपनी नाकामी का दुख व्यक्त किया। अकबर ने देखा कि बीरबल के आंखों में आंसू थे और उनकी आँखों का ताप उनके दिल तक पहुंच रहा था। अकबर को बेहद दुःख हुआ और वह उन्हें समझने की कोशिश की।
अकबर ने दोस्ती और सम्मान की एक अनमोल बात याद दिलाई। उन्होंने कहा, “बीरबल, तुम मेरे अच्छे और विश्वासपात्र मित्र हो। तुम्हारी जितनी बुद्धिमत्ता और अद्वितीयता मैंने किसी में नहीं देखी है। यदि तुम उस सवाल का जवाब नहीं दे पाए, तो कोई बात नहीं। मेरे लिए तुम मेरे दिल के क़रीब हो और तुम्हारी मदद की ज़रूरत हो तो मैं यहाँ हूँ।”
बीरबल ने उनके शब्दों को समझा और एक गहरे आदर्श रूप में धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, “हुजूर, मैं आपकी यही उम्मीद करता हूँ। मैंने ख़ुद को आपके सामर्थ्य के मुकाबले नहीं पाया, लेकिन मैं यह जानता हूँ कि आप मेरे साथ हैं।”
इस घटना ने उन्हें एक नई सोच दी और उन्होंने समझा कि दोस्ती और समर्पण हमारी मूलभूत गुण हैं, जो किसी भी मुश्किल का सामना करने में हमें सफलता देते हैं। इस कहानी ने यह सिद्ध किया कि सच्ची मित्रता और आदर्शों के प्रतीक दो व्यक्तियों के बीच ना केवल एक-दूसरे की मदद करती है, बल्कि इसे एक दूसरे को समझने का तरीका भी है।
अकबर और बीरबल की यह दोस्ती उनके जीवन को खास बनाती हैं। उनकी बातचीत से वे हर मुश्किल का सामना करने के लिए तैयार रहते थे।
सिख
यह कहानी हमें यह शिक्षा देती है कि हमें अपने मित्रों का मान, सम्मान करना चाहिए, चाहे हमारे पास समय हो या ना हो अपने दोस्तों के लिए समय जरुर निकालना चाहिए।
Birbal Ka Buddhi Ki Pariksha
एक समय की बात है, बादशाह अकबर का मन व्याकुल और चिंतित था। वे अपने मन में एक सवाल लेकर घबराए हुए थे। उन्हें चिंता थी कि क्या उनके सभी अधिकारी वास्तविकता में बुद्धिमान हैं या यह सिर्फ एक दिखावा है। अकबर ने खुद को एक चुनौती देने का निर्णय लिया।
अगले दिन दरबार में, बादशाह अपने अधिकारियों को एक सवाल पूछने के लिए बुलाए। अकबर ने कहा, “दोस्तों, मैं एक उपवन में चिड़ियाघर बनवाने का सोच रहा हूँ। मैं चाहता हूँ कि हर एक अधिकारी मुझे एक-एक करके एक चिड़िया ले आए। इसके लिए मैं एक चुनौती दूंगा।”
“जो अधिकारी सबसे पहले सच्चाई बोलेगा, वही मुझसे एक चिड़िया ले आएगा।”
बादशाह के इस विचार से सभी अधिकारी परेशान हो गए। सच्चाई बोलना कितना मुश्किल था, क्योंकि इसके पीछे उनकी नौकरी और पद की सुरक्षा का सवाल था। लेकिन बीरबल, जो हमेशा ही बुद्धिमान थे, और इस चुनौती को स्वीकार किया।
अगले दिन बीरबल अकबर के सामने पहुंचे और साहसपूर्वक बोले, “महाराज, सच्चाई यही है कि मैं ताजिर का पुत्र हूँ।”
अकबर के चेहरे पर चमक आई और उन्होंने बीरबल को एक चिड़िया देने का आदेश दिया। सभी अधिकारी चौंक गए और बीरबल की सामर्थ्य के आगे झुक गए।
यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्चाई की पहचान और बुद्धिमानी हमेशा प्रमुखता रखती है। जब हम सच्चाई के मार्ग पर चलते हैं, तब हम अपनी बुद्धि और साहस का परीक्षण करते हैं। बीरबल की यह बुद्धिमानी ने उन्हें सबसे मान्यता प्राप्त कराई और उन्हें सत्य और न्याय का प्रतीक बनाया।
सिख
इस कहानी से हमें यह सिख मिलती हैं, की ईमानदारी और बुद्धिमानी सच्चाई की पहचान होती है।
Birbal Aur Bhikari
एक गरीब भिकारी शहर में बुद्धिमान बीरबल से मिलने आया। भिकारी ने अपनी गरीबी के बारे में बात करते हुए कहा, “ओ बीरबल! मैं एक गरीब और बेसहारा आदमी हूँ। मेरे पास न घर है, न धन है, न कोई साथी है। मेरे जीवन को देखकर तुम मुझे कोई राहत दो।”
बीरबल ने गरीब भिकारी की दुःख भरी आँखों को देखा और अपनी समझदारी से उनसे पूछा, “क्या तुम्हें सिर्फ सामाजिक और आर्थिक समस्याओं का समाधान चाहिए, या तुम्हें कुछ और भी चिंता है?”
भिकारी ने आँसूओं से भरी आँखों से बीरबल को देखा और कहा, “मैं खुद को खो चुका हूँ, और मेरी जीवनशक्ति कमजोर हो गई है। कृपया मेरी आत्मा को शांति दो।”
बीरबल की आंखों में करुणा और संवेदना थी। उन्होंने भिकारी के प्रति अपनी संवेदनाओं को व्यक्त किया और कहा, “अरे भिकारी! तेरी वास्तविक गरीबी तो तेरे बाहरी हालातों में है, लेकिन तेरी आत्मा की गरीबी को मैं समझ सकता हूँ। मैं तुझे यही सलाह देता हूँ कि तू आत्मा की गहराई में जाए, अपने बारे में सोचे अपने मन की गहराइयों को समझे।”
भिकारी ने बीरबल के शब्दों को ध्यान से सुना और एक नई उम्मीद मिली। उसके चेहरे पर मुस्कान छाई और उसने धन्यवाद कहते हुए कहा, “धन्यवाद, बीरबल! तुमने मुझे नई दिशा दिखाई है, एक नया जीवन को जीने का तरीका दिया है। मैं अपनी आत्मा की खोज में जाऊंगा और शांति की प्राप्ति के लिए प्रयास करूंगा।”
इस कहानी से हमें सिख मिलती है कि धन, सामाजिक स्थिति और साथी की अनुपस्थिति हमारे आंतरिक शांति को प्रभावित नहीं कर सकती। असली सुख और प्रगति आंतरिक आनंद में ही मिलते हैं, जो हमारी आत्मा की गहराई में छिपा होता है।
Birbal Aur Aam
एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में एक गरीब लड़का रहता था, जिसका नाम आम था। वह अपने माता-पिता के साथ गरीबी से जूझ रहा था। वह भी ज़िंदगी से हार नहीं मानता था।
एक दिन गांव में एक फ़रमान आया कि अकबर बादशाह आ रहे हैं। लोग उस दिन का इंतज़ार करने लगे और सभी अपने कामों में व्यस्त हो गए। आम भी उत्साहित होकर उस दिन की तेयारी में लग गया। जब उसने अकबर बादशाह का चेहरा देखा, तो उसका दिल एक सवाल पूछने की तरफ धक धक करने लगा।
आम ने साहसपूर्वक आगे बढ़कर अकबर से पूछा, “कैसे पता चलता है आपको कि लोग आपके साथ सच कह रहें हैं या झूठ?”
अकबर ने विचार किया और फिर उसे एक पहेली सुनाई, “अगर तुम मेरे सवाल का सही जवाब दे सको, तो मैं तुम्हारे सच और झूठ की पहचान कर सकता हूँ। पर अगर तुम जवाब नहीं दे पाओगे, तो तुम्हें मुझसे एक सवाल का उत्तर देना होगा। क्या तैयार हो?”
आम ने हिम्मत दिखाते हुए कहा, “हाँ, मैं तैयार हूँ।”
अकबर ने कहा, “अगर तुम झूलते हुए पेड़ के नीचे एक भरी हुई पेटी मिल जाए, तो तुम उसमें क्या सोचोगे?”
आम ने बिना सोचे जवाब दिया, “मैं यह सोचूंगा कि यह पेटी किसी गरीब इंसान की होगी जिसने इसे छोड़ दिया होगा, और मैं इसे वापस कर दूंगा उस इंसान को।”
अकबर के होंठों पर मुस्कान खिली और उन्होंने कहा, “तुमने सही जवाब दिया है। लोग उसे छोड़ देते हैं क्योंकि वह धनवान हो सकता है, पर तुमने उसे वापस करने की सोची है, जो ईमानदारी का प्रतीक है।”
अगले दिन, अकबर बादशाह ने उस गरीब लड़के को दरबार में बुलाया। आम बहुत बेचैन था, क्योंकि वह सोच रहा था कि वह इतना गरीब होने के कारण उससे क्या उम्मीद कर सकते हैं।
अकबर ने उसे बुलाया और पूछा, “आम, क्या तुम मुझसे कोई सवाल पूछना चाहोगे?”
आम ने अपनी आँखों में आंसू लिए हुए कहा, “महाराज, मेरा बस यही सवाल है कि क्या एक गरीब लड़के का आपके सामर्थ्य के सामने कोई महत्व हो सकता है?”
अकबर बादशाह ने आम की ओर ध्यान दिया और अपनी आवाज़ में गहराई थी, “हाँ, आम! एक गरीब लड़के का महत्व हमेशा होता है। तुम्हारे प्रत्येक संघर्ष, हर दिन की लड़ाई और आपातकाल में भी तुमने अपने ईमान और सच्चाई को रखा है। तुम एक सच्चा हीरो हो।”
इसे सुनकर आम के चेहरे पर खुशी की मुस्कान छाई। वह आज जान गया कि गरीबी उसके अंदर के दिल की महिमा को छुपा नहीं सकती है। अकबर बादशाह ने उसे एक सोने की पेटी और सम्मान किया जिससे आम गरीबी से मिक्त हो गया।
इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि सच्चा महत्व केवल धन नहीं होता है, बल्कि आपकी ईमानदारी, अनुशासन और अपने मूल्यों को समझने की क्षमता से भी होता है।